सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या ये लोग शरणार्थी हैं या अवैध घुसपैठिए।
31 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि अगर रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं, तो क्या उन्हें अनिश्चितकाल के लिए हिरासत में रखना उचित है? साथ ही, कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि जो रोहिंग्या शिविरों में रह रहे हैं, क्या उन्हें बुनियादी सुविधाएं मिल रही हैं?
सीनियर एडवोकेट्स ने दलील दी कि रोहिंग्याओं को लगातार हिरासत में रखने से मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सितंबर में विस्तृत सुनवाई तय की है।
यह सुनवाई भारत की शरणार्थी नीति की दिशा तय कर सकती है, खासकर जब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।