छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: नकद को वैध दिखाने की कोशिश, ईडी ने कोर्ट में खोले राज
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले की जांच में नया मोड़ आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को विशेष अदालत में पेश किया है। ईडी के अनुसार, चैतन्य ने करीब 16.70 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की है। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस धनराशि को नकद में प्राप्त किया गया और फिर उसे रियल एस्टेट कंपनियों के ज़रिए वैध दिखाया गया।
ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चैतन्य बघेल ने नकदी को प्रोजेक्ट डेवलपमेंट, ठेकेदार भुगतान और बैंकिंग ट्रांजैक्शन में बदला। ये प्रयास धन को वैध स्वरूप देने के लिए किए गए थे।
त्रिलोक ढिल्लों के साथ गठजोड़ से सामने आए फर्जी निवेश
ईडी ने खुलासा किया है कि चैतन्य ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलकर एक फर्जी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट “विठ्ठलपुरम” के नाम पर 5 करोड़ की राशि ली। बैंकिंग ट्रेल से यह साबित करने का प्रयास किया गया है कि यह राशि शराब सिंडिकेट से ट्रांसफर हुई थी।
1000 करोड़ की अवैध संपत्ति की हेराफेरी की जांच
ईडी का दावा है कि इस घोटाले में लगभग 1000 करोड़ रुपये की पीओसी (अपराध से अर्जित संपत्ति) की हेराफेरी हुई है। यह रकम कांग्रेस के तत्कालीन कोषाध्यक्ष तक पहुंचाई गई थी और बघेल परिवार के करीबी लोगों के खातों में निवेश के रूप में भेजी गई। इस पूरे मामले की जांच जारी है और चैतन्य बघेल की रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग की गई है।