नकदी कांड में फंसे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को सुप्रीम कोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा है। सोमवार, 28 जुलाई 2025 को, जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने उन्हें फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार इसलिए आई क्योंकि यशवंत वर्मा ने याचिका के साथ जांच समिति की रिपोर्ट संलग्न नहीं की थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना रिपोर्ट के इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकती।
वर्मा ने तीन जजों की जांच समिति के गठन पर आपत्ति जताई थी, और रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने सवाल किया कि अगर रिपोर्ट या समिति से उन्हें समस्या थी, तो समय रहते उन्होंने अदालत का रुख क्यों नहीं किया?
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के दौरान यह भी सामने आया कि जांच रिपोर्ट में जज वर्मा को नकद रकम घर में रखने का दोषी ठहराया गया है।
वहीं यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में न सिर्फ रिपोर्ट को अमान्य करने की बात कही, बल्कि तत्काल निलंबन की सिफारिश करने वाले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के खिलाफ भी विरोध जताया।
अब कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक वर्मा जांच समिति की पूरी रिपोर्ट नहीं पेश करते, तब तक उनकी याचिका पर कोई भी सुनवाई नहीं की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार इस बात का संकेत है कि न्यायपालिका स्वयं में जवाबदेही चाहती है और अनुशासन के साथ किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी।