ईडी पर गंभीर आरोप, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे भूपेश बघेल

ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए भूपेश बघेल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

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छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बड़ा कदम उठाया है।
उन्होंने ईडी पर संविधान और कानून के नियमों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया है।

भूपेश बघेल का कहना है कि ईडी की कार्रवाई पीएमएलए एक्ट की धारा 44, 50 और 66 के विरुद्ध है
और यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन के समान है।
उन्होंने कहा कि ईडी की जांच प्रक्रिया पूरी तरह से कानून और प्रक्रिया से बाहर जाकर की गई है,
जो एक लोकतांत्रिक प्रणाली में अस्वीकार्य है।

सुप्रीम कोर्ट में आधे घंटे की सुनवाई

इस याचिका पर 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में आधे घंटे तक सुनवाई हुई,
जिसके बाद मामले को डबल बेंच में स्थानांतरित कर दिया गया
अब इस मामले पर 6 अगस्त को दो जजों की पीठ सुनवाई करेगी,
जो तय करेगी कि क्या ईडी की कार्रवाई संविधान के अनुरूप है या नहीं।

चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी पर नाराजगी

भूपेश बघेल ने अपने पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को अनुचित और अवैध करार दिया है।
उनका दावा है कि ईडी ने न तो कोई नोटिस भेजा,
और न ही कोर्ट से जांच की अनुमति ली, जो कि कानूनन आवश्यक है।

चैतन्य को तीन साल पहले एक बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था,
लेकिन उसके बाद कोई नोटिस नहीं दी गई।
अब अचानक एक आरोपी के बयान के आधार पर गिरफ्तारी कर ली गई,
जबकि वह आरोपी आज भी खुले में घूम रहा है

 विजय शर्मा के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया

गृहमंत्री विजय शर्मा के इस बयान पर कि “बघेल डरकर सुप्रीम कोर्ट गए हैं”,
भूपेश बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा कि “गृहमंत्री अब ईडी के प्रवक्ता जैसे बयान दे रहे हैं।”

भूपेश ने कहा कि अगर ईडी की कार्यप्रणाली सही है,
तो बिना कोर्ट की अनुमति और बिना नोटिस के गिरफ्तारी कैसे संभव है?
उन्होंने सवाल किया कि क्या संवैधानिक संस्थाएं अब राजनीतिक निर्देशों पर कार्य करेंगी?

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