छत्तीसगढ़ में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का आंदोलन आठवें दिन भी जारी है और प्रशासनिक व्यवस्था पर इसका व्यापक असर देखा जा रहा है। और इस प्रदर्शन के चलते 20 हजार से अधिक राजस्व संबंधित फाइलें लंबित हो गई हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी असुविधा हो रही है।
यह आंदोलन 17 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुआ है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक समाधान नहीं निकल सका है।
राजस्व विभाग की हड़ताल से छात्रों और किसानों की सबसे अधिक मुश्किलें बढ़ गई हैं। और आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र जैसे जरूरी दस्तावेजों के लिए छात्र लगातार तहसीलों के चक्कर काट रहे हैं। वहीं, किसान सीमांकन, फौती नामांतरण और भूमि विभाजन जैसे काम के लिए भटक रहे हैं, लेकिन व्यवस्था पूरी तरह ठप है। जो किसान भूमि की रजिस्ट्री करा चुके हैं, वे प्रमाणीकरण न होने से अन्य काम आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं।
राज्य की तमाम तहसीलों में सन्नाटा पसरा है, क्योंकि अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयों से अनुपस्थित हैं। और इससे अर्जीनवीस, स्टांप विक्रेता और दस्तावेज लेखकों की आमदनी पर भी असर पड़ा है। भूमि रजिस्ट्री, सीमांकन आदेश और खाता विभाजन जैसे कार्य पूरी तरह रुके हुए हैं, जिससे ग्रामीणों और आमजन की परेशानी बढ़ी है।
फिलहाल राज्य भर में 20 हजार से ज्यादा फाइलें विभिन्न प्रक्रियाओं में अटकी हुई हैं। और जिन राजस्व मामलों का जल्द निपटारा जरूरी था, वे अब निर्णय की प्रतीक्षा में हैं।
हड़ताल कर रहे अधिकारियों का कहना है कि विभागीय संसाधनों की कमी, तकनीकी अव्यवस्थाएं और सुरक्षा की अनदेखी उनकी मुख्य चिंताएं हैं।
और जब तक इन बिंदुओं पर ठोस पहल नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।