छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के एक सरकारी स्कूल में 29 जुलाई को बच्चों को दूषित मिड-डे मील परोसे जाने की घटना पर अब हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। लच्छनपुर गांव में खाना खुले में रखा गया, जिसे कुत्ते चाट गए। इसके बावजूद, बच्चों को वही भोजन खाने दिया गया, जिससे 78 बच्चों को रेबीज वैक्सीन देना पड़ा।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने समाचार रिपोर्ट्स के आधार पर स्वतः संज्ञान लिया और इसे बच्चों की जान से खिलवाड़ बताया मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की पीठ ने शिक्षा सचिव से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
कोर्ट ने चार प्रमुख सवाल उठाए:
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क्या सभी बच्चों को इलाज मिला?
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दोषियों पर कार्रवाई क्या हुई?
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भविष्य में रोकथाम के उपाय क्या होंगे?
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क्या किसी प्रकार का मुआवजा बच्चों को दिया गया?
कोर्ट ने कहा, “यह सिर्फ लापरवाही नहीं बल्कि अमानवीय कृत्य है, जिसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”स्व सहायता समूह और स्कूल प्रशासन पर अब सवाल खड़े हो गए हैं।यह मामला एक बार फिर मिड-डे मील योजना की निगरानी पर सवाल उठाता है।
बच्चों की सेहत से जुड़े इस गंभीर मसले पर अदालत अब सख्त नजर आ रही है।