सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा- पहले साबित करो आयोग की गलती

बिहार वोटर लिस्ट विवाद में याचिकाकर्ताओं से मांगा ठोस प्रमाण

Cgdarshan
Cgdarshan 3 Min Read
3 Min Read

बिहार वोटर लिस्ट विवाद इन दिनों राजनीतिक और संवैधानिक बहस का बड़ा केंद्र बन गया है।
वोटर सूची में विशेष पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने जहां विरोध प्रदर्शन तेज किया है,
वहीं मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

10 जुलाई को हुई सुनवाई में अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कड़े सवाल किए।
कोर्ट ने कहा,
“सिर्फ आरोप लगाना पर्याप्त नहीं, चुनाव आयोग की गलती का ठोस प्रमाण पेश करें।”

वहीं आयोग ने जवाब में कहा कि उन्हें अब तक सभी याचिकाओं की प्रतियां नहीं मिली हैं,
जिसके कारण पूरी तरह पक्ष रखने में कठिनाई हो रही है।

याचिकाकर्ताओं की आपत्ति और तर्क

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि
वोटर लिस्ट की समीक्षा की प्रक्रिया संविधान और कानून में निर्धारित है,
लेकिन आयोग ने ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ जैसा नया शब्द गढ़ा है।

उन्होंने यह भी कहा कि 2003 में यह संभव था क्योंकि मतदाता संख्या कम थी,
पर आज 7 करोड़ से अधिक मतदाता होने पर यह प्रक्रिया जल्दबाजी लगती है।

ये हैं पांच मुख्य संवैधानिक आपत्तियाँ

1. संवैधानिक अनुच्छेदों का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि यह प्रक्रिया
अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करती है।

2. नागरिकता और जन्मस्थान का जटिल दस्तावेजीकरण

कुछ याचिकाओं में आरोप है कि इस प्रक्रिया में
जन्म व निवास के अव्यवस्थित प्रमाण मांगे जा रहे हैं।

3. लोकतंत्र की भावना को क्षति

वोटर वेरीफिकेशन की यह प्रक्रिया
जन भागीदारी और समावेश को कमजोर करती है।

4. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग पर बोझ

गरीब, महिलाएं, प्रवासी और हाशिए के लोग
इस दस्तावेजी बोझ को वहन नहीं कर सकते।

5. गलत समय पर प्रक्रिया लागू

विपक्ष का कहना है कि यह प्रक्रिया चुनाव से पूर्व जल्दबाजी में शुरू हुई है,
जिससे करोड़ों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

आयोग ने क्या सफाई दी?

चुनाव आयोग ने कहा कि
2003 की वोटर लिस्ट में जिनके नाम हैं उन्हें दस्तावेज नहीं देना होगा।

जिनके माता-पिता का नाम उस सूची में है,
उन्हें सिर्फ जन्मस्थान और जन्मतिथि का प्रमाण देना होगा।
आयोग ने इसे संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुरूप बताया है।

निष्कर्ष: अब फैसला सुप्रीम कोर्ट के हाथ

बिहार वोटर लिस्ट विवाद देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट की गहन सुनवाई से यह स्पष्ट है कि
अब निर्णय केवल कानूनी दलीलों पर आधारित होगा।

आगामी सुनवाई में तय होगा कि क्या यह प्रक्रिया जारी रहेगी
या इसे संविधान के अनुरूप संशोधित किया जाएगा।

Share This Article
Leave a comment