गुरुवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में उस समय तनावपूर्ण स्थिति बन गई जब विपक्षी सदस्यों ने खाद संकट पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
इस विरोध के कारण प्रश्नकाल बार-बार बाधित होता रहा, जिससे स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने अंततः सत्र को स्थगित करने का निर्णय लिया।
उन्होंने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि बार-बार समझाने के बावजूद विपक्ष ने मर्यादाएं लांघी हैं।
डॉ. सिंह ने इसे केवल नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की वर्षों पुरानी संसदीय गरिमा का अपमान बताया।
स्पीकर ने कहा कि सदन की परंपराएं केवल एक राजनीतिक ढांचा नहीं, बल्कि राज्य की पहचान होती हैं।
लेकिन आज जो दृश्य सदन में देखने को मिले, उन्होंने इन मानकों को गंभीर रूप से आहत किया है।
उन्होंने विपक्षी विधायकों से अपील की कि लोकतंत्र की मर्यादाओं को समझें और संवाद का सम्मान करें।
यह पहली बार नहीं जब विपक्ष के व्यवहार को लेकर सदन में ऐसी गंभीर टिप्पणी की गई हो।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या राजनीतिक असहमति अभद्रता में बदलती जा रही है?
छत्तीसगढ़ की जनता इस घटनाक्रम को गंभीरता से देख रही है और आने वाले समय में इसका असर ज़रूर दिखेगा।