रायपुर निगम की FIR सिफारिश: भूमाफियाओं के खिलाफ पहला बड़ा कदम

नगर निगम ने बड़े बिल्डर‑कॉलोनाइजर के खिलाफ पुलिस में भेजी सिफारिश

Cgdarshan
Cgdarshan 3 Min Read
3 Min Read

रायपुर नगर निगम ने एक निर्णायक और साहसिक कदम उठाते हुए बोरियाखुर्द क्षेत्र में दशकों से चल रही अवैध प्लॉटिंग पर FIR दर्ज कराने की सिफारिश की है। इस संबंध में निगम ने वालफोर्ट ग्रुप के पंकज लाहोटी और कॉलोनाइजर योगेंद्र वर्मा के खिलाफ पुलिस को प्रकरण सौंपा है। यह पहला मौका है जब निगम द्वारा किसी बड़े बिल्डर के खिलाफ समझदारी भरा कानूनी हमला किया गया है।

मौजूदा परंपरा टूट रही है

पहले निगम केवल छोटे भूमाफियाओं और स्थानीय किसानों की मिलीभगत का पता कर FIR भेजता था। लेकिन जब बड़े कॉलोनाइजर सीधे काम में शामिल पाए गए, तब निगम ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया। यह यकीनी तौर पर अवैध कारोबार के खिलाफ निगम का पहला निर्णायक कदम है, जो अब तक नहीं हुआ था।

आंकड़ों से अवैधता सामने

नगर निगम ने कुल 369 मामले पुलिस के पास भेजे, लेकिन सिर्फ 20 मामलों में FIR दर्ज की गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि निगम‑पुलिस की कार्रवाई में तालमेल ना होने के चलते भूमाफियाएं बेखौफ थीं। इस समय तक कोई प्रकरण कोर्ट तक नहीं पहुंचा है, जिससे निगम की कार्रवाई की गंभीरता को आँखअंदाज किया जाता रहा।

बाहरी लोगों की बड़ी हिस्सेदारी

रायपुर के बाहर आने वाले लोग—जिसमें बीस से पच्चीस प्रतिशत खरीदार बिहार, यूपी, झारखंड और अन्य राज्य से आते हैं—अवैध प्लॉटिंग का कारोबार कर रहे हैं। नए खरीदार और नगरीय सुविधाओं की कमी, भूमाफियाओं को व्यापार के लिए खुला मौका देती है।

विधिक अधिकार और निगम की दृष्टि

नगर निगम के पास नगर पालिका अधिनियम की धारा 292 के तहत अवैध सड़कों व निर्माण ध्वस्त करने का अधिकार है। अब निगम ने FIR सिफारिश करके पुलिस को प्रकरण सौंपा, जिससे यह संकेत मिलता है कि शासन‑प्रशासन अब अवैध प्लॉटिंग को समझदारी से गंभीरता से ले रहा है।

चुनौती अभी बाकी है

अब पुलिस की कार्यवाही वास्तविक परीक्षा के रूप में सामने है। FIR दर्ज होने के बाद यदि मामला न्यायिक प्रक्रिया में जाता है, तो यह निगम और प्रशासन के कौशल का प्रमाण होगा। ध्यान देने की बात यह है कि बिना FIR के प्राथमिक कार्रवाई मात्र आधी अधूरी साबित होती है। निगम के इस कदम की सफलता इसी परीक्षा में छिपी हुई है।

Share This Article
Leave a comment