जबलपुर के पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर नहीं रहे, आम जनता के डॉक्टर को अंतिम विदाई

84 वर्षीय पद्मश्री डॉ. एमसी डाबर का निधन हो गया। उन्होंने जीवनभर गरीबों का इलाज न्यूनतम फीस में किया। जबलपुर शोक में डूबा।

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जबलपुर के लोकप्रिय चिकित्सक डॉ. एमसी डाबर का निधन, सस्ती चिकित्सा के प्रतीक थे

मध्य प्रदेश के जबलपुर से एक भावुक करने वाली खबर सामने आई है।
डॉ. एमसी डाबर जबलपुर निधन ने पूरे प्रदेश को शोक में डाल दिया है।
84 वर्षीय डॉ. डाबर ने 4 जुलाई की सुबह अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

उन्होंने अपना जीवन जरूरतमंदों की सेवा को समर्पित किया था।
कम आयवर्ग के लोगों को भी इलाज मिल सके, इसके लिए उन्होंने हमेशा न्यूनतम फीस ली।

सेवा का दूसरा नाम थे डॉ. डाबर

1972 में उन्होंने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की थी और सिर्फ ₹2 फीस लेकर मरीज देखना शुरू किया।
उनकी अधिकतम फीस भी ₹20 तक ही रही, जो आज भी एक मिसाल है।
उनका मानना था कि इलाज सबके लिए सुलभ होना चाहिए, न कि विशेष वर्ग तक सीमित।

पद्मश्री सम्मान बना पहचान का प्रतीक

भारत सरकार ने उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 2020 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया।
यह सम्मान केवल चिकित्सा के क्षेत्र में नहीं, बल्कि मानव सेवा के लिए भी था।
वे समाज में ‘आम लोगों के डॉक्टर’ के रूप में प्रसिद्ध थे।

क्लिनिक बना था आशा का केंद्र

जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में स्थित उनके क्लिनिक पर रोजाना लंबी कतारें लगती थीं।
वे न केवल इलाज करते थे, बल्कि कई बार मरीजों की आर्थिक सहायता भी स्वयं करते थे।
हर वर्ग का व्यक्ति उनके पास विश्वास लेकर पहुंचता था।

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसमूह

डॉ. एमसी डाबर जबलपुर निधन की खबर मिलते ही उनके निवास पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव समेत अनेक लोगों ने गहरा दुख जताया और कहा कि “ऐसे सेवाभावी डॉक्टर दुर्लभ हैं।”

डॉ. डाबर अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श और सेवा की भावना हमेशा जीवित रहेगी।
वे केवल डॉक्टर नहीं थे, बल्कि मानवता के सच्चे प्रतिनिधि थे।

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