छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में चल रहे ‘लोन वर्राटू’ अभियान ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और पुनर्वास की नई मिसाल कायम की है। आज दो शीर्ष इनामी कमांडरों सहित 12 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर लोकतंत्र में विश्वास जताया।
इस अभियान के तहत अब तक कुल 1005 माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में चंद्रना और अमित उर्फ हिंगा बारसा जैसे दो माओवादी नेताओं पर ₹8 लाख का इनाम घोषित था। इनके साथ अरुणा, देवा कवासी, राजेश मड़काम और अन्य इनामी व सामान्य स्तर के नक्सली भी शामिल हैं।
एसपी गौरव राय की अगुवाई में इस उपलब्धि के उपलक्ष्य में पुलिस टीम ने केक काटकर खुशी जाहिर की। यह अभियान न केवल सुरक्षा की दिशा में बल्कि सामाजिक बदलाव और पुनर्वास के दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक साबित हो रहा है। इन सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के अंतर्गत ₹50,000 की सहायता राशि, स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण, कृषि भूमि जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, CRPF और खुफिया एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों से इस सफलता को हासिल किया गया है। ‘लोन वर्राटू’ की शुरुआत जून 2020 में हुई थी, जिसके तहत ग्राम पंचायतों, थाना क्षेत्रों और कैम्पों में सक्रिय नक्सलियों की सूची जारी कर उनसे घर लौटने की अपील की जाती है।
यह अभियान नक्सली हिंसा से मुक्ति और मुख्यधारा की ओर लौटने की पहल का प्रमुख उदाहरण बन चुका है। राज्य सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वालों को सम्मानजनक जीवन देने की नीति इस बदलाव को स्थायी बना रही है।