छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र पहले ही दिन जोरदार विवाद का केंद्र बन गया।
विधानसभा खाद संकट मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की, लेकिन स्थगन प्रस्ताव खारिज होने से विवाद और गहरा गया।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने शून्यकाल में राज्यभर में खाद और बीज की भारी कमी को लेकर स्थगन प्रस्ताव रखा।
उनका कहना था कि किसान खाद के लिए परेशान हैं और खुले बाजार से महंगे दामों में खाद खरीदने को मजबूर हैं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार पूरी तरह नाकाम है और किसानों को राहत देने में असफल रही है।
उन्होंने मांग की कि इस मुद्दे पर तुरंत चर्चा होनी चाहिए क्योंकि स्थिति गंभीर होती जा रही है।
कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने जवाब में कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही फास्फेटिक खाद की कमी को लेकर वैकल्पिक तैयारी कर ली थी।
उन्होंने बताया कि नैनो उर्वरक और अन्य विकल्पों को लेकर किसानों को प्रशिक्षित किया गया है और भंडारण की व्यवस्था भी पूरी है।
उनके अनुसार, एनपीके और पोटाश जैसे उर्वरकों का भंडारण निर्धारित लक्ष्य से अधिक हो चुका है।
राज्य में अब तक 28 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में बुआई भी पूरी हो चुकी है।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया।
यह फैसला विपक्ष को स्वीकार नहीं हुआ और कांग्रेस के विधायक वेल में उतरकर नारेबाजी करने लगे।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विधानसभा खाद संकट का मुद्दा अब छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र में है।
सरकार जहां वैकल्पिक व्यवस्था का दावा कर रही है, वहीं विपक्ष किसानों की स्थिति को लेकर आक्रोशित है।
यह टकराव यह स्पष्ट करता है कि मानसून सत्र के दौरान कृषि संकट पर और भी तीखी बहस देखने को मिल सकती है।