निमिषा प्रिया फांसी मामला एक बार फिर चर्चा में है। केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया यमन की जेल में मौत की सजा का सामना कर रही हैं। लेकिन अब इस गंभीर स्थिति में भारत के मुस्लिम धर्मगुरुओं के हस्तक्षेप से एक नई आशा की किरण नजर आ रही है।
भारत के प्रतिष्ठित इस्लामी धर्मगुरु ग्रांड मुफ्ती कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार ने इस संवेदनशील मामले में हस्तक्षेप करते हुए मानवीय आधार पर पहल की है। उनके प्रयासों के बाद यमन में चर्चाएं तेज हो गई हैं और उच्च स्तर पर बातचीत शुरू हो चुकी है।
यमन में हुई गुप्त बैठक से जागी आशा
ग्रांड मुफ्ती के आग्रह पर यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर ने बातचीत की पहल की है। उनके प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने यमन के उत्तर क्षेत्र में एक विशेष बैठक बुलाई जिसमें कई महत्वपूर्ण लोग शामिल हुए:
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यमन सरकार के अधिकारी
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उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश
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मृतक व्यक्ति तलाल के परिजन
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प्रभावशाली जनजातीय नेता
हालांकि बैठक में क्या निर्णय लिया गया, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन इस प्रकार की पहल ने निमिषा प्रिया फांसी मामला को एक नया मोड़ जरूर दे दिया है।
भारत में भी तेज हुए प्रयास
भारत में लगातार निमिषा प्रिया को लेकर आवाज़ उठाई जा रही है। सामाजिक संगठन, मानवाधिकार संस्थाएं और धार्मिक समुदाय सभी चाहते हैं कि उन्हें न्याय मिले। अब जब धार्मिक नेतृत्व सामने आया है, तो राजनयिक रास्ता भी और अधिक सक्रिय हो सकता है।
क्या बच पाएंगी निमिषा प्रिया?
यमन की न्याय व्यवस्था में “दिया कानून” के तहत यदि मृतक के परिवार से समझौता होता है, तो सजा में राहत संभव है। ग्रांड मुफ्ती के हस्तक्षेप और यमन के सूफी समाज की भागीदारी इस समझौते की संभावना को बल देती है।
यह पहला मौका है जब धार्मिक नेतृत्व इस मामले में इतने सीधे और सक्रिय रूप से शामिल हुआ है, जिससे निमिषा प्रिया की सजा कम होने या रद्द होने की उम्मीद अब पहले से कहीं ज़्यादा है।