जांजगीर-चांपा जिले में एक चौंकाने वाला साइबर अपराध सामने आया है, जिसमें एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को डिजिटल अरेस्ट ठगी का शिकार बनाया गया। आरोपियों ने फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग केस में नाम जोड़ने और कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर उनसे 32.54 लाख रुपये वसूल लिए। यह मामला ना सिर्फ रिटायर्ड नागरिकों को चेतावनी देता है, बल्कि साइबर सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है।
व्हाट्सएप वारंट से फैलाया जाल
पीड़ित तुषारकर देवांगन, शंकर नगर कॉलोनी के निवासी हैं, जो सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्हें एक अंजान व्हाट्सएप नंबर से एक मैसेज मिला जिसमें खुद को बैंक अधिकारी बताया गया। फिर भेजा गया एक नकली एटीएम कार्ड और एक डिजिटल अरेस्ट वारंट, जिसमें दावा किया गया कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आया है। यही नहीं, उन्हें यह भी बताया गया कि उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।
छह ट्रांजैक्शन में वसूले पैसे
डरे हुए पीड़ित से आरोपियों ने छह अलग-अलग ट्रांजेक्शन के जरिए कुल 32 लाख 54 हजार 996 रुपये मंगवा लिए। यह पैसा चार अलग-अलग खातों में जमा कराया गया। दो बार तो फोन पे जैसे यूपीआई माध्यम से भी रकम ट्रांसफर करवाई गई। इन सभी ट्रांजैक्शन के दौरान उन्हें कार्रवाई की धमकी दी जाती रही, जिससे वह मानसिक दबाव में आकर लगातार पैसे ट्रांसफर करते रहे।
ठगी का अहसास होते ही की शिकायत
जब पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ, तब उन्होंने कोतवाली थाने पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी दी। पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस साइबर टीम अब ट्रांजेक्शन से जुड़े खातों की जांच कर रही है और आरोपियों के मोबाइल नंबर की लोकेशन ट्रैक की जा रही है।
सावधान रहें, जागरूक बनें
यह मामला यह दर्शाता है कि किस तरह अपराधी अब डिजिटल तकनीकों का दुरुपयोग कर मासूम लोगों को शिकार बना रहे हैं। यदि किसी को ऐसे किसी मामले में कॉल या मैसेज मिले, तो तत्काल नजदीकी थाने में रिपोर्ट करें और किसी भी तरह की राशि ट्रांसफर न करें।
निष्कर्ष
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ती ठगी की घटनाएं चिंताजनक हैं। रिटायर्ड नागरिकों को विशेष रूप से सतर्क रहना होगा क्योंकि अपराधी उन्हें आसान लक्ष्य मानते हैं। इस घटना से सबक लेते हुए आम नागरिकों को खुद को और अपने परिजनों को इस तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए जागरूक रहना चाहिए।