भारत ने एक बार फिर ऊर्जा क्षेत्र में अपनी स्वायत्तता दिखाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस से तेल खरीद जारी रखेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने की धमकी के बाद इस मसले पर सियासी सरगर्मी बढ़ गई थी, लेकिन भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि ऊर्जा आपूर्ति पर कोई समझौता नहीं होगा।
मार्च 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक कच्चे तेल बाजार में अस्थिरता आ गई थी। इसी समय भारत ने रियायती दर पर रूसी तेल खरीदना शुरू किया, जिससे घरेलू महंगाई को नियंत्रण में रखने में मदद मिली। आज भी भारतीय रिफाइनरियां रूस से तेल की आपूर्ति कीमत, गुणवत्ता और रसद के आधार पर तय करती हैं।
सूत्रों के अनुसार, भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का सम्मान करती हैं, लेकिन रूस पर कोई प्रतिबंध नहीं होने के कारण वह वहां से खरीद जारी रखे हुए हैं। G7 की मूल्य सीमा नीति के अंतर्गत 60 डॉलर प्रति बैरल की सीमा का पालन अब तक किया गया है, जो आने वाले महीनों में कम हो सकती है।
भारत ने हमेशा से संतुलन की नीति अपनाई है – उसने ईरान और वेनेजुएला जैसे प्रतिबंधित देशों से दूरी बनाकर रखी है। ट्रंप का यह कहना कि भारत रूस पर ज्यादा निर्भर है, पूरी तरह से राजनीतिक बयान है। भारत ने रणनीतिक रूप से वही किया जो वैश्विक आपूर्ति और अपने घरेलू हितों के लिए जरूरी था।
तेल नीति अब वैश्विक राजनीति के बजाए ठोस आर्थिक और रणनीतिक मूल्यों पर आधारित है। भारत का यह रुख भविष्य में भी स्पष्ट दिशा देने वाला है।