11 जुलाई को अटल नगर, नवा रायपुर के मंत्रालय स्थित महानदी भवन में आयोजित होने जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा और निर्णय की संभावना है। बैठक विधानसभा के मानसून सत्र से पहले हो रही है, इसलिए यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
कृषक उन्नति योजना में बड़ा विस्तार
सरकार ने किसानों के हित में कृषक उन्नति योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है। अब यह योजना केवल धान उत्पादक किसानों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दलहन, तिलहन और मक्का जैसे फसल उत्पादकों को भी इसका लाभ मिलेगा। यदि कोई किसान खरीफ 2024 में धान बेच चुका है और आगामी खरीफ 2025 में अन्य फसलों की बुवाई करता है, तो उसे आदान सहायता राशि दी जाएगी।
छत्तीसगढ़ पेंशन फंड को मिली स्वीकृति
राज्य सरकार ने पेंशन भुगतान को बेहतर वित्तीय प्रबंधन देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ पेंशन फंड के गठन को मंजूरी दी है। साथ ही इससे संबंधित विधेयक 2025 के प्रारूप को भी मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति दी है। यह कदम भविष्य में सेवानिवृत्त कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करेगा।
राजकोषीय स्थिरता के लिए ग्रोथ एंड स्टेबिलिटी फंड
राज्य की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए ग्रोथ एंड स्टेबिलिटी फंड के गठन को मंजूरी दी गई है। यह फंड वित्तीय असंतुलन और मंदी की स्थिति में राज्य की मदद करेगा।
राज्य बनेगा लॉजिस्टिक हब
छत्तीसगढ़ राज्य लॉजिस्टिक पॉलिसी 2025 को भी कैबिनेट ने स्वीकृति दी है। इस नीति से छत्तीसगढ़ में लॉजिस्टिक हब, ड्राई पोर्ट, कंटेनर डिपो और निर्यात अधोसंरचना को बढ़ावा मिलेगा। इसके जरिए MSMEs, वन उत्पादों, वनोपज और स्थानीय उद्योगों को निर्यात का अवसर मिलेगा, जिससे रोजगार और निवेश बढ़ेगा।
जन विश्वास विधेयक से व्यापार को राहत
मंत्रिपरिषद ने जन विश्वास विधेयक 2025 को भी मंजूरी दी है। इसके तहत कई कानूनों के प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण करने का निर्णय लिया गया है। इससे व्यापारियों और आम नागरिकों को अनावश्यक मुकदमों से राहत मिलेगी।
पुरानी सरकारी संपत्ति का पुनर्विकास
राज्य सरकार ने 7 स्थानों की पुरानी सरकारी इमारतों और खाली जमीन को रिडेवलप करने की योजना को भी हरी झंडी दी है। इनमें रायपुर, राजनांदगांव, जगदलपुर, कांकेर, महासमुंद और कोरबा के इलाके शामिल हैं।
विभागीय पदोन्नति में राहत
वाणिज्यिक कर विभाग में पदोन्नति के लिए अनिवार्य सेवा अवधि को पांच वर्षों से घटाकर दो वर्ष करने का निर्णय लिया गया है। यह नियम केवल एक बार के लिए लागू किया जाएगा।