दुर्ग जिले में त्योहारों से पहले डीजे संचालन को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।
डीजे संचालन पर रोक को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल की अध्यक्षता में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई।
बैठक में करीब 100 डीजे संचालकों ने हिस्सा लिया और उन्हें ध्वनि प्रदूषण से संबंधित सभी कानूनी निर्देशों की जानकारी दी गई।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में एएसपी अभिषेक झा और सीएसपी सत्यप्रकाश तिवारी ने उपस्थित डीजे संचालकों को नियमों का महत्व समझाया।
बताया गया कि अब किसी भी सार्वजनिक या निजी आयोजन में डीजे बजाने से पहले प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
डीजे संचालन पर रोक के नियमों के अनुसार, 75 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे, लाउडस्पीकर और वाद्य यंत्रों के उपयोग पर पूरी तरह रोक रहेगी।
शासन और एनजीटी द्वारा ध्वनि नियंत्रण को लेकर जारी दिशा-निर्देशों का पालन अनिवार्य किया गया है।
साथ ही ध्वनि विस्तारक यंत्रों का वाहनों में उपयोग करना भी अब पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
बैठक में संचालकों को यह भी बताया गया कि किसी प्रकार से यातायात बाधित करने या रास्ता रोकने की स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
डीजे संचालन पर रोक के तहत सभी शासकीय एवं अशासकीय कार्यालय, अस्पताल, स्कूल व न्यायालयों के 100 मीटर दायरे को “शांति क्षेत्र” घोषित किया गया है।
इन क्षेत्रों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग पूरी तरह वर्जित रहेगा और इसके उल्लंघन पर सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
प्रशासन ने सभी आयोजकों से अपील की है कि वे तय दिशा-निर्देशों का पालन करें और सहयोगात्मक भूमिका निभाएं।
यह अभियान शांति, कानून व्यवस्था और नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
डीजे संचालन पर रोक को लेकर आमजन और आयोजकों को समय रहते सतर्क रहने की आवश्यकता है।