छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में मंगलवार की सुबह अचानक धरती कांप उठी और अफरा-तफरी मच गई। सुबह ठीक 7:31 बजे कई घरों में दरवाजे और खिड़कियां हिलने लगीं। बर्तन आपस में टकराकर आवाजें करने लगे, जिससे लोग घबरा गए और तुरंत घरों से बाहर निकल आए।
इन झटकों की अवधि लगभग 4 से 5 सेकंड रही, लेकिन इतने समय में ही लोगों को भूकंप की स्पष्ट अनुभूति हुई। इस भूकंप का केंद्र बगीचा इलाके में बताया जा रहा है और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.1 मापी गई है। जशपुर के अलावा अंबिकापुर में भी इसी तरह के झटके महसूस किए गए।
पिछले कुछ वर्षों से सरगुजा क्षेत्र में बार-बार भूकंप के हल्के झटके महसूस होते रहे हैं, जिससे लोग हमेशा सतर्क रहने लगे हैं। आज के झटकों के बाद लोगों ने खासकर बुजुर्गों और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और बाहर खुले स्थानों पर देर तक खड़े रहे।
हालांकि, इस घटना में किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति को नुकसान की सूचना नहीं है। लेकिन लोगों में डर स्पष्ट दिखाई दिया। फिलहाल प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। मगर स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया और आपसी संवाद के जरिए भूकंप की पुष्टि की है।
गांवों में लोगों को सतर्क करते हुए देखा गया और कई इलाकों में लोग अब भी बाहर समय बिता रहे हैं। प्रशासनिक पुष्टि भले ही नहीं हुई हो, परंतु गांवों में अलर्ट जैसी स्थिति बनी हुई है।
इस बीच, भूकंप वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के झटके सामान्य होते हैं और अक्सर इनसे कोई बड़ा नुकसान नहीं होता। लेकिन लोगों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि झटकों के बाद घरों के बिजली कनेक्शन, गैस सिलेंडर, और दीवारों की स्थिति की जांच अवश्य करनी चाहिए।
इस घटना के ठीक एक दिन पहले रूस के कामचटका प्रायद्वीप में एक भीषण भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता 8.8 मापी गई। यह दुनिया का छठा सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इसके कारण वहां पर सुनामी की लहरें भी उठीं, जिनकी ऊंचाई 5 मीटर तक पहुंची। टोक्यो सहित कई देशों में अलर्ट जारी किया गया है।
जापान, अमेरिका, चीन, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, और पेरू जैसे देशों ने तटीय क्षेत्रों में चेतावनी जारी कर दी है। प्रशांत महासागर से सटे इलाकों में सुनामी का खतरा अभी बना हुआ है और यह लहरें कई दिनों तक जारी रह सकती हैं।
इस वैश्विक घटनाक्रम के बीच जशपुर के लोगों ने भी सतर्कता का उदाहरण पेश किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही तीव्रता कम हो, लेकिन जागरूकता और सजगता ही सबसे बड़ा बचाव है।