छत्तीसगढ़ में जुलाई के अंतिम सप्ताह में मानसून की गति धीमी पड़ गई है। पिछले 48 घंटों से राज्य के ज्यादातर हिस्सों में वर्षा की तीव्रता कम हो गई है। रायपुर और बस्तर संभाग के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो अन्य जगहों पर हल्की बारिश हुई, जिससे खेतों की नमी कम होती जा रही है और किसान चिंता में हैं।
भारतीय मौसम विभाग ने 10 जिलों—कबीरधाम, राजनांदगांव, बालोद, दुर्ग, बेमेतरा, धमतरी, रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद और गरियाबंद में बिजली गिरने की आशंका जताई है। इन जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। इससे आम जनता से सतर्क रहने और खुले स्थानों से दूर रहने की अपील की गई है।
बारिश के ताजा आंकड़ों से साफ है कि राज्य में बरसात की रफ्तार धीमी हो गई है। 28 जुलाई तक 603 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई थी, जो 30 जुलाई तक केवल 623 मिमी पहुंची। इस बीच केवल 20 मिमी वर्षा हुई, जो मानसून की सुस्ती को दर्शाता है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि 31 जुलाई के बाद बारिश की मात्रा में और गिरावट आएगी। लेकिन अगस्त की शुरुआत में फिर से भारी वर्षा की संभावना जताई गई है, जिससे किसानों को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है।
इस साल जुलाई में अब तक 453 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। 25 से 29 जुलाई के बीच 153 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो इस महीने की मुख्य बारिश रही। पिछले 10 वर्षों में केवल दो बार जुलाई में 400 मिमी से अधिक बारिश हुई है। इससे यह सिद्ध होता है कि जुलाई के पहले हिस्से में अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन अब ठहराव आ गया है।
मानसून की इस सुस्ती का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ रहा है, जिनकी खरीफ फसलें अब नमी की कमी से प्रभावित हो सकती हैं। खेतों में पानी की मात्रा कम होने लगी है, जिससे सिंचाई की जरूरत बढ़ सकती है।
साथ ही, जिन जिलों में यलो अलर्ट घोषित किया गया है, वहां लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे बिजली गिरने के समय खुले स्थानों, पेड़ों या ऊंची संरचनाओं के पास न रहें।
छत्तीसगढ़ में मानसून फिलहाल कमजोर हुआ है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगस्त में इसकी वापसी होगी। किसानों और आम नागरिकों को इस समय सतर्कता के साथ मौसम की जानकारी पर ध्यान देना आवश्यक है।