राज्यपाल रमेन डेका का पहला वर्ष सिर्फ एक संवैधानिक यात्रा नहीं रहा, बल्कि यह एक सक्रिय जनसेवा की मिसाल बन गया। उन्होंने शासन की सीमाओं से परे जाकर समाज के हर तबके से संवाद स्थापित किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधताओं को करीब से देखा और जन-जन से जुड़ने की सार्थक पहल की।
छत्तीसगढ़ के सभी जिलों का उन्होंने दौरा किया और वहां की जमीनी सच्चाई का गहन अवलोकन किया। उन्होंने केवल आंकड़ों पर विश्वास नहीं किया, बल्कि धरातल पर जाकर यह जाना कि योजनाएं कितनी प्रभावी हैं। यह कार्यप्रणाली उन्हें अन्य राजनेताओं और प्रशासकों से अलग बनाती है।
राज्यपाल रमेन डेका कार्यकाल में टीबी मुक्त भारत अभियान को नई गति मिली। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मरीजों को गोद लेकर न केवल प्रेरणा दी, बल्कि उनके इलाज की व्यवस्था भी सुनिश्चित की। यह कदम स्वास्थ्य जागरूकता और मानवीय संवेदनशीलता का बेहतरीन उदाहरण बना।
इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष ध्यान दिया। विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों में सक्रिय भागीदारी से उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया और ज्ञान आधारित भारत के निर्माण का संदेश दिया। वे छात्र-छात्राओं को केवल डिग्रीधारी नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार करने की बात करते हैं।
महिला सशक्तिकरण के लिए भी उनके कार्यकाल को विशेष रूप से याद किया जाएगा। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, महिला समूहों और स्वयं सहायता समूहों से सीधा संवाद किया और उनकी जरूरतों को प्राथमिकता दी। पौधारोपण और पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में भी उन्होंने सक्रिय भागीदारी निभाई।
राज्यपाल रमेन डेका कार्यकाल की एक और महत्वपूर्ण विशेषता रही – ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करना। उन्होंने राज्य के बाहर जाकर भी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक छवि को प्रस्तुत किया और राष्ट्रीय एकता को गहराई दी।
इसके अलावा, संविधान के पालन और उच्च शिक्षा संस्थानों के संचालन में अनुशासन सुनिश्चित करने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने सभी कुलपतियों से संवाद कर विश्वविद्यालयों में नैतिक मूल्यों और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल दिया।
उन्होंने युवाओं को स्वावलंबन की दिशा में प्रेरित किया, स्टार्टअप, कौशल विकास और नवाचार पर बल दिया। यह स्पष्ट है कि उनका कार्यकाल केवल प्रतीकात्मक नहीं बल्कि परिवर्तनात्मक रहा है।
राज्यपाल रमेन डेका का कार्यकाल छत्तीसगढ़ के लिए एक नई दिशा और दृष्टि का प्रतीक बन गया है। उन्होंने राजभवन को आम जनता के लिए खोला और इसे जन-जन की समस्याओं के समाधान का केंद्र बनाया।