श्रीलंका में लॉन्च के साथ ही स्टारलिंक इंटरनेट एक बार फिर चर्चा में आ गया है।
एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स द्वारा संचालित यह सेवा पहले भूटान और बांग्लादेश में शुरू हो चुकी है। अब भारत में भी impact of starlink internet india को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं।
हाल ही में एलन मस्क ने सोशल मीडिया पर श्रीलंका में सेवा शुरू करने की घोषणा की, जिससे उम्मीद है कि भारत में भी इसकी शुरुआत जल्द होगी।
भारत में क्यों है इसकी जरूरत?
देश के कई गांवों और दूरदराज इलाकों में आज भी इंटरनेट की गति और पहुंच एक बड़ी चुनौती है।
ऐसे में लो अर्थ ऑर्बिट आधारित स्टारलिंक सेवा हर क्षेत्र में समान गति से इंटरनेट उपलब्ध कराने में मददगार हो सकती है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में सुधार संभव होगा।
बड़ी टेलीकॉम कंपनियों की भागीदारी
इस साल मार्च में भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने स्टारलिंक के उपकरणों को भारत में लाने के लिए स्पेसएक्स के साथ समझौता किया है।
इससे ये स्पष्ट है कि impact of starlink internet india केवल एक तकनीकी परिवर्तन नहीं बल्कि एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
क्या होगा बड़ा बदलाव?
भारत में अब तक अधिकतर इंटरनेट सेवाएं फाइबर ऑप्टिक, डीएसएल या मोबाइल टावर पर आधारित रही हैं। लेकिन स्टारलिंक बिना किसी भौतिक नेटवर्क के हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराएगा।
ग्रामीण क्षेत्र जहां मोबाइल सिग्नल भी मुश्किल से मिलता है, वहां भी यह सेवा इंटरनेट की नई क्रांति ला सकती है।
आंकड़ों से समझिए असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2025 के अंत तक 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूज़र्स हो सकते हैं।
इस बढ़ते बोझ को संभालने और सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए impact of starlink internet india अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।