भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर सहमति बनी है। यह दोनों देशों की सबसे बड़ी आर्थिक साझेदारी बन सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा से पहले वरिष्ठ अधिकारी समझौते के बिंदुओं को अंतिम रूप देने में जुटे रहे।
पीएम मोदी और ब्रिटेन के पीएम कीयर स्टार्मर के बीच द्विपक्षीय बैठक से पूर्व इस समझौते को अंतिम सहमति दी गई।
इस समझौते के जरिए दोनों देशों के बीच व्यापारिक टैरिफ में बड़ी राहत मिलने की संभावना जताई जा रही है।
भारत ब्रिटेन एफटीए समझौता पहले ही मई 2025 में घोषित हो चुका था लेकिन अब इसके दस्तावेजों पर औपचारिक हस्ताक्षर की तैयारी है।
भारत ने रूस से तेल खरीद पर लगे ब्रिटिश प्रतिबंध को अस्वीकार करते हुए कहा, उसकी प्राथमिकता देश की ऊर्जा सुरक्षा है।
भारत ब्रिटेन एफटीए समझौता से जुड़ी कई कानूनी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं, और केवल कुछ तकनीकी विषयों पर सहमति शेष है।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि केवल सीमित वस्तुओं को टैरिफ छूट से बाहर रखा गया है।
पीएम मोदी की यह लंदन की चौथी यात्रा होगी, जो भारत-ब्रिटेन संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगी।
यूरोपीय संघ और ब्रिटेन ने रूस से तेल खरीद पर सीमित प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन भारत इसे दोहरा मापदंड मानता है।
भारत ब्रिटेन एफटीए समझौता ऊर्जा, निवेश और सेवा क्षेत्रों में व्यापार के नए रास्ते खोलेगा, जिससे दोनों देश लाभान्वित होंगे।
यह समझौता भारतीय निर्यातकों को ब्रिटिश बाजार में अधिक अवसर और कम शुल्क की सुविधा प्रदान करेगा।
भारत ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता देशवासियों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है, न कि पश्चिमी दबाव।
इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत स्वतंत्र विदेश नीति और आर्थिक स्वायत्तता के पथ पर आगे बढ़ रहा है।