छत्तीसगढ़ की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं इस समय गंभीर संकट में हैं, क्योंकि प्रदेशभर की मितानिनों ने 7 जुलाई 2025 से अनिश्चितकालीन काम बंद आंदोलन शुरू कर दिया है।
राजधानी रायपुर के तुता क्षेत्र में प्रदेश स्तरीय धरने के साथ यह आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें हजारों मितानिनें शामिल हुई हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर
मितानिनों के इस आंदोलन का सीधा असर टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच, नवजातों की देखभाल, और टीबी-कुष्ठ रोगियों की दवा वितरण जैसी जरूरी सेवाओं पर पड़ा है।
ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य व्यवस्था लगभग ठप हो चुकी है, जिससे आमजनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
क्या हैं मितानिनों की मांगें?
मितानिनों की प्रमुख मांग है कि उन्हें NGO के माध्यम से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सीधा शामिल किया जाए।
वे यह भी चाहती हैं कि ब्लॉक समन्वयकों, प्रशिक्षकों और हेल्प डेस्क कर्मियों को नियमित मासिक वेतन मिले।
सरकार ने 50% प्रोत्साहन राशि बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन वह अब तक लागू नहीं किया गया। इसी कारण मितानिनें मजबूरी में आंदोलन के रास्ते पर चली गई हैं।
आंदोलन का भविष्य
मितानिनों की नौ सूत्रीय मांगों को लेकर अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। जब तक मांगे पूरी नहीं होतीं, यह हड़ताल जारी रहने वाली है।
यदि यह स्थिति लंबी चली, तो छत्तीसगढ़ में जनस्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह प्रभावित हो सकती है।