भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था अब चीन के लिए एक चुनौती बन गई है। इसका सीधा असर भारत की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री पर पड़ रहा है क्योंकि चीन ने अनौपचारिक व्यापारिक प्रतिबंधों के ज़रिए बाधाएं खड़ी कर दी हैं। इन कदमों ने भारतीय निर्यात की गति को धीमा कर दिया है और उद्योग में असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
चीन के इस कदम से भारत का स्मार्टफोन निर्यात प्रभावित हो सकता है। भारत सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक 32 अरब डॉलर मूल्य का स्मार्टफोन निर्यात करने का है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह लक्ष्य अब कठिन होता दिखाई दे रहा है।
2025 में भारत ने रिकॉर्ड प्रोडक्शन किया
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने कुल 64 अरब डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माण किया, जिसमें से 24.1 अरब डॉलर मूल्य के उत्पादों का निर्यात किया गया। भारत अब विश्व स्तर पर एक बड़ा स्मार्टफोन निर्यातक बन चुका है, जो पहले 167वें स्थान पर था।
इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने भारत सरकार को भेजे पत्र में यह स्पष्ट किया है कि चीन का उद्देश्य भारत की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करना है ताकि भारत वैश्विक निर्माण केंद्र के रूप में उभर न सके।
प्रमुख कंपनियाँ भी आईं संकट में
चीन के इन अनौपचारिक प्रतिबंधों से कंपनियों की लागत भी बढ़ रही है। ICEA के अंतर्गत आने वाली बड़ी कंपनियाँ जैसे Apple, Google, Motorola, Foxconn, Vivo, Oppo, Dixon, Tata Electronics और Lava अब रणनीतिक मोर्चे पर निर्णय ले रही हैं।
चीन को भारत से क्यों है डर?
भारत की तेजी से बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और स्मार्टफोन निर्यात में लगातार हो रही वृद्धि चीन को असहज कर रही है। 2020 के बाद से भारत में मोबाइल निर्माण में तेज़ी आई है, जिससे चीन को वैश्विक प्रतिस्पर्धा का खतरा महसूस हो रहा है।
अब जबकि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है, तो चीन के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुका है।
सरकार की भूमिका और अगला कदम
ICEA ने सरकार से आग्रह किया है कि वह चीन के इन कदमों का कूटनीतिक और व्यापारिक स्तर पर कड़ा जवाब दे। भारत सरकार ने भी इस मसले को गंभीरता से लिया है और निर्यात लक्ष्य की रक्षा के लिए आवश्यक नीतिगत बदलावों पर विचार किया जा रहा है।