सूरजपुर के प्री-मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में पानी भरने से छात्र संकट में हैं। पूरा परिसर अस्थायी तालाब जैसा बन गया है, जिससे करीब 100 बच्चों का रहना, पढ़ना और सोना मुश्किल हो गया है।
छात्रों को घुटनों तक गंदे पानी में चलकर कक्षाओं और भोजनालयों तक पहुंचना पड़ रहा है। बारिश का पानी निकासी के अभाव में कमरों और गलियारों में भर जाता है। इससे रात के समय सांप-बिच्छू का खतरा भी मंडरा रहा है, जिससे बच्चे डरे-सहमे रहते हैं।
छात्रावास की छत से पानी टपकता है और दीवारें जर्जर हो चुकी हैं। बच्चों को न केवल पढ़ाई में रुकावट हो रही है, बल्कि उनका स्वास्थ्य और सुरक्षा भी खतरे में है। गंदे पानी में रहना, खाना बनाना और सोना, अब इन बच्चों की दिनचर्या बन गई है।
स्थिति की जानकारी मिलने पर जनपद पंचायत अध्यक्ष स्वाति सिंह मौके पर पहुंचीं। उन्होंने बच्चों को अस्थायी तौर पर दूसरी जगह शिफ्ट करने के निर्देश दिए। वहीं, संबंधित विभाग ने नए भवन के लिए प्रस्ताव भेजने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
इस गंभीर समस्या ने एक बार फिर छात्रावासों की हालत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि जल्द समाधान नहीं किया गया, तो बच्चों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।