दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी की गंदगी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यमुना में लगातार अनुपचारित सीवरेज बहाए जाने की स्थिति गंभीर होती जा रही है। कोर्ट में पेश की गई विशेष समिति की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि दिल्ली में मौजूद 37 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में से कई पूरी तरह कार्यरत नहीं हैं। इसके चलते गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के यमुना में बहाया जा रहा है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने इस स्थिति को देखकर कहा कि यह जनस्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। बारिश के समय सड़कों पर जलभराव की स्थिति और यमुना में बढ़ता प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। अदालत ने यह भी कहा कि केवल प्लानिंग से समाधान नहीं होगा, जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई अनिवार्य है।
दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली नगर निगम को 7 अगस्त तक एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इसमें यह बताना अनिवार्य होगा कि यमुना की सफाई और सीवरेज ट्रीटमेंट के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे की कार्ययोजना क्या होगी। इसके साथ ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और औद्योगिक विकास निगम को भी इसमें शामिल किया गया है।
अदालत ने पूर्व में प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए यह स्वतः जनहित याचिका दर्ज की थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि दिल्ली में बारिश के समय जलभराव और यमुना में प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है। इसी के आधार पर अदालत ने स्वतः कार्रवाई की।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि आगामी रिपोर्ट संतोषजनक नहीं रही तो वह कड़ी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगी। इस विषय में न्यायपालिका की सक्रियता साफ दर्शाती है कि यमुना की स्थिति को सुधारना अब केवल नीतियों का नहीं बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी विषय बन चुका है।